जनन स्वास्थ्य | Reproductive Health in Hindi

जनन स्वास्थ्य (Reproductive health)

'जनन स्वास्थ्य' (Reproductive health) शब्द सामान्यत: स्वस्थ जनन अंगों और उनके सामान्य प्रकार्यों से सम्बन्धित है। वास्तव में यह शब्द एक व्यापक अर्थ को प्रदर्शित करता है जिसमें जनन के भावनात्मक (Emotional) एवं सामाजिक (Sociological) पहलू (Aspects) निहित हैं।
Reproductive Health in Hindi
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation : WHO, 1948) के अनुसार जनन स्वास्थ्य का अर्थ - जनन के सभी पहलुओं सहित एक सम्पूर्ण स्वास्थ्य अर्थात् शारीरिक, भावनात्मक, व्यवहारात्मक तथा सामाजिक स्वास्थ्य है। इसलिए ऐसे समाज को जनन दृष्टि से स्वस्थ समाज की संज्ञा दी जा सकती है जिसमें व्यक्तियों के जनन अंग शारीरिक रूप से और क्रियात्मक रूप से सामान्य हों।
योनि सम्बन्धी सभी पहलुओं में जिनकी भावनात्मक और व्यावहारिक पारस्परिक क्रियाएँ सामान्य हों-जनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।

जनन स्वास्थ्य-समस्याएँ एवं कार्यनीतियाँ

तीव्रता से बढ़ती हुई जनसंख्या का अधिकांश भाग विशेषतः भारत जैसे विकासशील देशों में, युवाओं का है जो कि भविष्य की जनसंख्या के आकार, स्वास्थ्य तथा सुदृढ़ता को निर्धारित करता है । इस समूह में अनेक आयु वर्ग जैसे - किशोर, नवयुवक आदि के स्त्री एवं पुरुष सम्मिलित हैं। साथ ही वे व्यक्ति जो विवाह योग्य हैं, भी इस वर्ग में सम्मिलित हैं। विवाहित जीवन के पश्चात् पुरुष एवं स्त्रियों द्वारा, सन्तानोत्पत्ति, शिशुओं की देखभाल एवं अनेक सामाजिक क्रियाएँ मानव जनसंख्या के जनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
चूँकि जनन स्वास्थ्य, जनन के सभी पहलुओं सहित एक सम्पूर्ण स्वास्थ्य है। अतः जनन सम्बन्धी अनेक समस्याओं जैसे जनन अंगों का सामान्य रूप से कार्य न करना, प्रजनन के समय विपरीत परिस्थितियाँ उत्पन्न होना, विभिन्न प्रकार के जननिक रोगों की उत्पत्ति, शिशु मृत्यु दर में वृद्धि, स्त्री एवं पुरुषों की जननिक दशाओं में अनियमितता आदि को जनन स्वास्थ्य समस्याओं (Problems of reproductive health) के रूप में जाना जाता है।

जनन स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याएँ

  • लोगों में जनन स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता की कमी।
  • तेजी से बढ़ती हुई मानव जनसंख्या जो जनसंख्या विस्फोट (Population (explosion) कहलाती है।
  • लिंग सम्बन्धी पहलुओं के बारे में मिथ्या और गलत अवधारणाओं की अधिकता।
  • यौन संचारित रोगों (Sexual transmitted diseases) का सामान्य रूप से उत्पन्न होना।
  • जन्मजात एवं उपार्जित बन्ध्यता।
  • कन्या भ्रूणों का अमान्य गर्भपात कराना।
  • लिंग सम्बन्धी कुछ अन्य दोष।
कुछ नवीन सूचनाएँ प्रदर्शित करती हैं कि-
  1. अनेक देशों में माध्यमिक शिक्षा अभी भी अत्यधिक कम है, खासतौर पर बालिकाएँ अधिकतर इससे वंचित रहती हैं।
  2. कम उम्र में विवाह, प्रजनन, गर्भधारण की अनिवार्यता, गर्भपात आदि 15 से 19 वर्ष की महिलाओं की मृत्यु के प्रमुख कारण बने हुए हैं।
  3. यौन सम्बन्धी अज्ञानता के कारण 15-24 वर्ष के युवाओं में मुख्यतः यौन रोगों की अधिकता, जिसका कारण भी यौन रोग स्थानान्तरण होता है।
उपर्युक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने समय-समय पर कुछ कार्ययोजना एवं कार्यक्रमों की शुरुआत की। वास्तव में भारत ही विश्व का पहला ऐसा देश है जिसने राष्ट्रीय स्तर पर सम्पूर्ण जनन स्वास्थ्य को एक लक्ष्य के रूप में प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय कार्ययोजना और कार्यक्रमों (National planning and programmes) की शुरुआत की। इन कार्यक्रमों को परिवार नियोजन (Family planning) और आधुनिक समय में परिवार कल्याण के नाम से जाना जाता है। इन कार्यक्रमों की शुरुआत 1951 में हुई। पिछले दशकों में समय-समय पर इनका स्थिर मूल्यांकन भी किया गया है।

जनन स्वास्थ्य को सुधारने के लिए कार्यक्रम

  • परिवार नियोजन कार्यक्रम (Family Planning Programme)
  • जनन एवं बाल स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम (Reproductive and Child Health Care-RCH Programme)
उपर्युक्त कार्यक्रमों के अन्तर्गत जनन सम्बन्धी विभिन्न पहलुओं के बारे में जन सामान्य में जागरूकता पैदा करते हुए और जननात्मक रूप से स्वस्थ समाज तैयार करने के लिए अनेक सुविधाएँ एवं प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।

जनन स्वास्थ्य कार्यक्रमों के उद्देश्य

जनन स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए क्रियान्वित कार्यक्रमों के निम्नलिखित उद्देश्य हैं—
  1. एक उत्तरदायित्वपूर्ण, सुरक्षित एवं संतोषजनक जननिक जीवन को सुरक्षित करना ।
  2. दृश्य एवं श्रव्य (Audio visual) और मुद्रित सामग्री (जैसे- अखबार, पत्रिकाएँ) की सहायता से सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन के द्वारा जनता के बीच जनन- सम्बन्धी सभी पहलुओं के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए विभिन्न उपाय सुझाना। विभिन्न सूचनाओं को प्रसारित करने में माता-पिता, अन्य निकट सम्बन्धी, शिक्षक एवं मित्रों की भी प्रमुख भूमिका है।
  3. विद्यालयों एवं कॉलेजों में यौन शिक्षा ( Sex education) को बढ़ावा देकर युवाओं को सही जानकारियाँ उपलब्ध कराना और बच्चों को यौन सम्बन्धी भ्रान्तियों के प्रति जागरूक करना जिससे उन्हें यौन सम्बन्धी गलत धारणाओं से छुटकारा मिल सके।
  4. लोगों को जनन अंगों, किशोरावस्था (Adolescence) एवं उससे सम्बन्धित परिवर्तनों, सुरक्षित और स्वच्छ यौन क्रियाओं, यौन संचारित रोगों (Sexually Transmitted Diseases (STDs) एवं एड्स (AIDS) के बारे में जानकारियाँ उपलब्ध कराना । विशेष रूप से इस प्रकार की जानकारियाँ किशोर आयु वर्ग के लोगों के लिए जनन सम्बन्धी स्वस्थ जीवन बिताने में सहायक होती हैं।
  5. लोगों को शिक्षित करना, विशेष रूप से जनन क्षम (Fertile) जोड़ियाँ तथा वे लोग जिनकी आयु विवाह योग्य हैं, उन्हें परिवार नियोजन विकल्पों (Birth control measures) तथा गर्भवती माताओं की देखभाल, माँ और बच्चों की प्रसवोत्तर (Postnatal) देखभाल आदि के बारे में तथा स्तनपान के महत्व को समझाना आदि ।
  6. लोगों को जनसंख्या विस्फोट (Population explosion) के दुष्परिणामों, जनन अपराधों (Sex-related crimes), यौन दुरुपयोग, सामाजिक उत्पीड़नों आदि के प्रति जागरूक करना जिससे वे इन बुराइयों से बचकर एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकें।
  7. जनन स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए विभिन्न कार्य योजनाओं के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए मजबूत संरचनात्मक सुविधाओं, व्यावसायिक विशेषज्ञता तथा भरपूर भौतिक संसाधनों की सुविधा तैयार करना ।
  8. लोगों को जनन सम्बन्धी समस्याओं जैसे कि सगर्भता (Pregnancy), प्रसव (Parturition), यौन संचारित रोगों (Sexually transmitted diseases), गर्भपात (Abortion), गर्भनिरोधकों (Contraceptives), आर्तव चक्र (Menstrual cycle) सम्बन्धी समस्याओं, बाँझपन (Infertility) आदि के बारे में चिकित्सीय सहायता एवं देखभाल उपलब्ध कराना।
  9. समय-समय पर बेहतर तकनीकों और नई कार्यनीतियों को क्रियान्वित करने के लिए आर्थिक एवं सामाजिक सहायता उपलब्ध कराना जिससे लोगों की अधिक सुचारु रूप से देखभाल और सहायता की जा सके।
  10. विवाह की उम्र को बढ़ाना ।
  11. जनन तंत्र सम्बन्धी अनियमितताओं का प्रबन्धन करना ।
  12. सहायक जननिक क्रियाओं को प्रोत्साहित करके बन्ध्यता की समस्याओं को कम करना ।
बढ़ती मादा भ्रूण हत्या की कानूनी रोक के लिए उल्बवेधन (Amniocente- sis) जाँच (जिसमें कुछ माह में ही गर्भ की जाँच लड़का या लड़की के रूप में कर ली जाती है), लिंग परीक्षण पर वैधानिक प्रतिबन्ध तथा व्यापक बाल प्रतिरक्षीकरण (टीका) आदि कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों को भी शामिल किया गया है।
जनन सम्बन्धी विभिन्न अनुसन्धानों को बढ़ावा देने के लिए हमारे देश की सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियाँ नई विधियाँ तलाशने तथा कार्यशील प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने का काम कर रही हैं। लखनऊ स्थित केन्द्रीय औषध अनुसंधान संस्थान (Central Drug Research Institute CDRI) ने 'सहेली' नामक गर्भनिरोधक गोली (Contraceptive Pills) का आविष्कार किया है। यौन सम्बन्धी मामलों में बेहतर जागरूकता, अधिकाधिक रूप से चिकित्सा सहायता प्राप्त प्रसव तथा बेहतर प्रसवोत्तर (Post-natal) देखभाल से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। लघु परिवार वाले जोड़ों की संख्या में वृद्धि हुई है। यौन संचारित रोगों की सही जाँच तथा देखभाल और लगभग सभी जनन स्वास्थ्य समस्याओं (Reproductive health problems ) हेतु विकसित चिकित्सा सुविधाओं के होने से बेहतर समाज तथा बेहतर जनन स्वास्थ्य के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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